



संक्षिप्त परिचय
श्री 1008 शांतिनाथ दिगंबर जैन जयोदय अतिशय क्षेत्र, ईशुरवारा जिला सागर मध्य प्रदेश विध्यांचल पर्वत की शोभा को बड़ा रहा है । जहाँ विश्व प्रसिद्ध 900 वर्ष प्राचीन कई अतिशयों से युक्त दिगम्बर जैन मंदिर है, जो कि श्रेष्ठी पाणाशाह जी को जब स्वप्न आया तो उन्होंने इस पावन धरा पर जिन मंदिर का निर्माण विक्रम संवत 1232 में कराया था, जिसमें भगवान शांतिनाथ जी, कुंथूनाथ जी, अरहनाथ जी, चंद्र प्रभु जी और नेमीनाथ जी भगवान की खड़गासन मुद्रा में श्रेष्ठी पाणाशाह जी ने महान अतिशयकारी प्रतिमाओं को विराजमान करवाया । इस स्थान को परम पूज्य संत शिरोमणी आचार्य भगवन श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जी के परम प्रभावक शिष्य जगत् पूज्य तीर्थचक्रवर्ती निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव श्री 108 सुधासागर जी महाराज जी की जन्मस्थली होने का भी गौरव प्राप्त है ।
- सन् 1985 में आचार्य श्री संघ सहित अपने शिष्य मुनिपुंगव सुधा सागर जी महाराज को लेकर ईशुरवारा पधारे । जब आचार्य श्री ने ईशुवारा क्षेत्र को पहली बार देखा तो आचार्य श्री ने कहा एक साधक को जो भी कुछ चाहिए, साधना के लिए वह सब कुछ यहां पर है ।
- आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी के आर्शीवाद से मूल मंदिर का निर्माण कार्य संपन्न हुआ । सन् 2019 में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज पुन: आये तो उन्होंने नव निर्मित मंदिर को देखा और कहा यह मंदिर ऐसा लगा है की जैसे स्वर्ग से बना- बनाया देवों ने उतार दिया हो ।